चाँद वाले बाबा

प्यार की कसक कब रहा ?
नींद तो हमेशा एक कच्ची कहानी के चिथड़े बटोरने में टूट गई
और स्वप्न एक कमरे से गुज़र कर
चाबी के उन्ही गुच्छों में उलझ गए
जिससे उस कमरे को खोला था।
हाँ.... वो कमरा
जिसकी कहानी सुनाते हुए
उसने कहा था
कि वहाँ एक नयी दुनिया है
परियों की दुनिया
चॉक्लेट्स की दुनिया
वहाँ भगवान रहते हैं।
भगवान से मिलोगी ?
मुझे सांप गले में डाले उस चन्द्रमा वाले बाबा से मिलना था।
देखना था कि जो गंगा मेरे गांव के खलिहान सींचती है
वो उनकी जटाओं में कैसी दिखती है ?
मैं चल दी.…
परियां चॉकलैट्स और चाँद वाले बाबा देखने …
उसके हाथों के दस्तानों में जकड़े चाबी के गुच्छे छन- छन करते
एकदम माँ की पायलों की तरह।
अरे !!! माँ को भी साथ लाना चाहिए था
सोचते ही पीछे मुड़ती हूँ
पर मुड़ नहीं पाती ,
वो दस्ताने वाले हाथ चाबियों के साथ मुझे भी जकड लेते हैं
और घसीटते हैं उस कमरे में
जहाँ न परियां दिखी न चॉकलैट्स
वहाँ बंद किया जाता है मुंह
और दी जाती है एक पीड़ा
जिसके बारे में किसी ने नहीं बताया
अजीब सी चुभन
मैंने पुकारा माँ को..... पापा को
कोई नहीं आया
फिर याद आये चाँद वाले बाबा
जो सब देखते और सुनते हैं
पर गले में डाले सांप को उन्होंने सूंघा था शायद।
सच कहा था उसने
कमरे में एक नई दुनिया थी
घिनौनी नई दुनिया
चोक्लेटस खून में बदल बह रहा था
उसी गंगा की तरह जो मेरे गांव के खलिहान सींचती है
आवाज़ आई
कि किसी को बताया तो मार डालेगा मुझे
पर दर्द ने फिर भी बताया
पायलों की छनकार वाली माँ को
पर वो भी चाँद वाले बाबा की तरह शांत रही।
तभी कहती हूँ कि
रात उठ - उठ कर जागना
प्यार की कसक कब रहा ?
नींद तो हमेशा एक कच्ची कहानी के चिथड़े बटोरने में टूट गई
और स्वप्न एक कमरे से गुज़र कर
चाबी के उन्ही गुच्छों में उलझ गए
जिससे उस कमरे को खोला था।
प्रियंका गोस्वामी
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