तुम और मैं




तुम साइंस के इक्वेशन
मैं हिंदी की मात्रा ।
तुम ब्रह्माण्ड के सिद्धांत
मैं सिंधु की धारा ।

तुम द्वितीय विश्व युद्ध
मैं एन फ्रैंक की डायरी ।
तुम संविधान का आलेख
मैं चित्रगुप्त की कचहरी ।

तुम गणित की गिनती
मैं बही का खाता ।
तुम गरम दल की पगड़ी
मैं चरखे का धागा ..

तुम लंबी उम्र का आशीष
मैं गौतम का शाप।
तुम गंगा का पुण्य
मैं कृष्ण का पाप ।

लेकिन मुझे पता है
कहां मिलेगा किनारा।
होगा कॉपी के आख़िरी पन्ने पर
नाम हमारा ।

- प्रियंका

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