लाल गालों वाली लड़कियां
पहाड़ों की
लाल गालों वाली लड़कियों ,
जब तुम काँधे पर बस्ता टांग
गुज़रती हो सीढ़ीनुमा खेतों के बीचो- बीच
तब तुम्हारे पीछे चल रही होती है
माँ की फटकार ,
जो तुम्हें याद दिलाती है
कि आज खेतों में गुड़ाई का दिन है।
वहीँ तुम्हारे हाथों में रह जाती है ताज़ा कटे घास की महक
और दो चोटियों में बंधे होते है बुरांश सरीखे
फूल।
फूल।
टंगे बस्ते की बदौलत
लाल गाल वाली लड़कियां
नहर, गदेरों और जंगल से गुज़रते हुए
खिलखिला के चलती हैं,
और रास्ते में हर पत्थर को छू कर
सोये देवता जगाती है।
लाल गाल वाली लड़कियां
नहर, गदेरों और जंगल से गुज़रते हुए
खिलखिला के चलती हैं,
और रास्ते में हर पत्थर को छू कर
सोये देवता जगाती है।
लाल गाल वाली लड़कियां
काँधे पर बस्ता टाँगे
चुपके से देखती हैं
चुपके से देखती हैं
उस छवि को भी
जिसे देखकर उनके लाल गाल और लाल
हो जाते हैं।
जिसे देखकर उनके लाल गाल और लाल
हो जाते हैं।
जिससे चाह कर भी वो कभी बात नहीं करती
लेकिन उसके नाम के पहले अक्षर को
अपनी हथेलियों पर सजाती और मिटाती हैं ,
क्योंकि उन्हें पता है कि
उनकी डोली उस सामने खड़े पहाड़
को लांघ कर जाएगी।
और फिर वो किसी और सीढ़ीनुमा खेतों
के बीचों - बीच से गुज़रेंगी ।
जहाँ सब यूँही रहेगा ,
कुछ नहीं रहेगा तो वो होगा
उनके काँधे पर टंगा बस्ता।
और फिर वो किसी और सीढ़ीनुमा खेतों
के बीचों - बीच से गुज़रेंगी ।
जहाँ सब यूँही रहेगा ,
कुछ नहीं रहेगा तो वो होगा
उनके काँधे पर टंगा बस्ता।
लाल गालों वाली लड़कियों
घर से निकलते ही
तुम उस टंगे बस्ते सी हो जाती हो।
- प्रियंका
- प्रियंका
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