लंबा सा वक्त जिंदगी का
बस यूं ही खर्च हो गया...
चलो इस बार पाई -पाई जोड़ उसे
घरौंदा बनाते हैं .

कुछ किताबें शेल्फ पर
बस यूं ही सजी बैठी हैं,
चलो इस बार छूकर उसे
दुल्हन बनाते हैं ...

हर बार घर पर मां को ही
लाड़ दिखाते रह गए,
चलो इस बार पापा के
कंधे दबाते हैं ...

पूरा नाम जानकर जो
दूरिया बना लेते हैं
चलो इस बार उनको ही
तनहा कर जाते हैं ...

चलो इस बार ,
चाय बांटते छोटू से
नज़रें मिलाते हैं...
चलो इस बार...
वक्त निकालते हैं
चलो इस बार ..थोड़ा रूक ही जाते हैं
चलो इस बार  ... इंसान बन जाते हैं

प्रियंका

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