मेरे बाद
तुम्हारी अगली प्रेमिकाओं को
नहीं सहेजनी पड़ेंगी
तुम्हारी कतरन,
जिसे जोड़कर मैंने तुम्हारा आज बनाया ।
उन्हें नहीं मालूम चलेगा
कि तुम्हारा बिखरना
कितना सुंदर था ।
नहीं महसूस कर पाएंगी वो
कि आंचल में तुम्हारा कतरा बटोरकर
इश्क़ की पतंग बनाना कैसा होता है ।
वो नहीं देख पाएंगी
कि जिन सपनों को तुम जी रहे हो
उसकी शुरुआती नींद कितने सुकून की थी ।
उन्हें नहीं मिलेगा
सूखी रोटी, छोटी कटोरी और
पहाड़ी चकोरी का साथ।
मेरे बाद
तुम्हारी अगली प्रेमिकाएं
नहीं छू पाएंगी वो जगहें
जहां मैंने बीज बोए हैं ।
क्योंकि तुम्हारी अगली प्रेमिकाएं
देखेंगी पेड़
और झूलेंगी झूला
हर सावन में ।
- © प्रियंका
"नहीं महसूस कर पाएंगी वो
ReplyDeleteकि आंचल में तुम्हारा कतरा बटोरकर
इश्क़ की पतंग बनाना कैसा होता है ।"
Not making any sense at all... Poetry is also the engineering of words, which needs some logic as well... Probably you're a narcissistic women but not a poet, for sure!
She is one of the best poet and writer I came across...Keep up the good work Miss Goswami. Hope to read more from you...
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