लक्ष्मण रेखा

त्रेता में जाकर
कहना है लक्ष्मण से
तुम्हारी खींची रेखा
आज भी जीवित है ।
उसका जीवन अनंत है
वो खिंचती चली आ रही है
सदियों से ।
लेकिन जब भी उसे देखा है
अपनी धूरी में पाया है ।
वो जीवित है ।
सांस  लेती है
मेरे साथ

कभी माथे की भरी मांग की तरह
तो कभी सूनी कोख की तरह ।
कभी
भरी मांग के सूने होने पर
और सूनी कोख के भरे होने पर
भ्रूण पूछती है ।
लक्ष्मण ... तुम्हारी रेखा
मुझे डराती है.
कहती है,
मुझे मत लांघना ।
उस पार दस सिरों का रावण खड़ा है ।
मैं रावण को खड़ा देखती हूं ,
और फिर एक सवाल कौंध जाता है
लक्ष्मण ...
क्यों नहीं खींची ये रेखा तुमने
रावण की धूरी में


-
प्रियंका 

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