हैप्पी फ्रेंडशिप डे

आज पहली बार उसे इस घर का सन्नाटा महसूस हो रहा था | चार साल पहले जब माँ गुजरी थी तब भी ऐसा ही सन्नाटा था | लेकिन .. इससे थोडा कम | क्योंकि उसके सामने उसके डैडा
थे उसके दोस्त | पिछले 6 सालों से अपने बीवी बच्चों के साथ
लन्दन में रह रहा था | पूरे 3 साल बाद वो अपने घर वापस
आया था | वो उस खामोश घर में जैसे जैसे अन्दर घुस
रहा था वैसे वैसे उसकी ज़िन्दगी के कैनवस पर पड़ी धूल साफ़ होती जा रही थी | खिड़की पर उसके रंगीन नन्हे हाथों के निशाँ अभी तक मौजूद थे | जो कभी घर पेंट होते वक़्त मस्ती में चोरी छिपे उसने छोड़े थे | माँ ने बहुत डांट लगाई थी लेकिन उसके जिगरी दोस्त ..उसके डैडा ने हमेशा की तरह उसका साइड लिया और एक याद की तरह उसे वहीँ सजाये रखा |
"मेरी नज़र इसपर पहले क्यों नहीं पड़ी ?" आदित्य ये सोचते सोचते अपने कमरे में पहुंचा .. वहां उसकी और पल्लवी की शादी की तस्वीर लगी थी | वो फिर एक याद में खो गया
"डैडा आई ए एम इन लव " ... बस, उसके यार उसके डैडा ने ये सुनते ही उसे गले से लगा लिया और सीधा कहा " पल्लवी के पापा का नम्बर दो " .... आदित्य स्तब्ध था कि डैडा को पल्लवी के बारे में कैसे पता ? इन्ही यादों में खोया आदित्य अपने डैडा के कमरे में पहुँच गया था ...कि अचानक नज़र टेबल पर पड़े एक ख़त पर रुक गयी .. ख़त के लिफाफे में लिखा था .. for you my son... आदित्य ख़त पढता है |
" hey buddy .... मुझे पता है कि जब तुम ये ख़त पढ़ रहे होंगे तब मैं दूर कहीं आसमान से तुम्हे देख रहा होऊंगा | मेरे दोस्त ..कभी हार मत मानना .. डरना नहीं मैं हमेशा तुम्हारे पास रहूँगा | याद है एक दिन मैं तुम्हारे एनुअल फंक्शन में नहीं आ पाया था | तुम्हारा प्ले था जिसमे तुम एक प्रिंस बने थे .. तुम्हे लगा मैं नहीं आया लेकिन buddy मैं आया था | जगह नहीं थी इसलिए कोने में खड़ा था ... लेकिन मैंने तुम्हे देखा था | तुम सच में प्रिंस लग रहे थे .. और लगते क्यों नहीं ? तुम प्रिंस हो मेरे राजकुमार | आई ए एम सॉरी कि मैंने तुम्हारी बाईक की जिद्द पूरी नहीं की ... इस चक्कर में तुमने कई दिनों तक अपने डैडा से बात नहीं की थी | तुम्हारे तो कई दोस्त बने ..लेकिन मेरा तो सिर्फ एक ही दोस्त था ... सिर्फ तुम | बेटा, तुम उस वक़्त बालिग नहीं थे.. मैं डरता था ..तुम्हे खोने से |
तुम्हारी माँ मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी .. मैं खुश हूँ कि उसने मुझे तुम्हारे रूप में एक और दोस्त दिया |
जाते जाते बस माफ़ी मांगता हूँ ..अपनी गलतियों के लिए ..कमियों के लिए | मैंने पूरी कोशिश की तुम्हारे साथ साथ बड़ा होने की | लेकिन फिर भी अगर कभी कोई कसार रह गयी हो तो माफ़ कर देना | मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है | मुझे पता है कि तुम भी एक बहुत अच्छे डैडा दोस्त बनोगे | बाय बेटा ..मेरे जाने का दिन भी कितना ख़ूबसूरत है .............. happy friendship day :) "
आदित्य फफक कर रो पड़ता है .. और कहता है "आप दुनिया के सबसे अच्छे दोस्त हो डैडा .." सन्नाटा अभी भी बरकरार है |
गज़ब, आपकी रचनात्मकता का जवाब नहीं।
ReplyDeleteअमित भारतीय dhnywad mitr :)
Deleteलानत है हम लड़की से आगे ना खुछ सोचते है ना बढ़ते है , जब इस का टाइटल पढ़ा तो लगा की कोई लड़की लड़का की महंगी रुला देने , बिछड़ जाने फिर मिल जाने वाली कहानी होगी ---जिसमे लड़का अधूरे छूटे चुंबन को याद करता होगा और फिर से फूल देकर लाल रंग का उसे मनाया होगा , लेकिन अपने सच मे बेहतरीन लिखा है ---
ReplyDeleteप्रेमिकाओ को पत्र लिखनेवालों
यदि आपकी कलम की नोक बाँझ है
तो कागज का गर्भपात ना करो
सितारो की और देख क्रांति लाने की
Esse pdh kr meri ankho ka paani
ReplyDeleteRuk nhi paya..akhir hum kuch terms bnakr kyu hrr chiz ko limited bna dete ha..jaise ldki to papa ki ladli hoti ha or ldke maa ke...rehne dete ha na sb kuch khula.. without any terms..