अमृता एक ऐसा नाम जो अपने साथ बहुत एहसास समेटे है। उन्हीं एहसासों को समेटने की कोशिश की है मैंने उनके पत्रों से।
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Showing posts from November, 2018
तुम और मैं
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तुम साइंस के इक्वेशन मैं हिंदी की मात्रा । तुम ब्रह्माण्ड के सिद्धांत मैं सिंधु की धारा । तुम द्वितीय विश्व युद्ध मैं एन फ्रैंक की डायरी । तुम संविधान का आलेख मैं चित्रगुप्त की कचहरी । तुम गणित की गिनती मैं बही का खाता । तुम गरम दल की पगड़ी मैं चरखे का धागा .. तुम लंबी उम्र का आशीष मैं गौतम का शाप। तुम गंगा का पुण्य मैं कृष्ण का पाप । लेकिन मुझे पता है कहां मिलेगा किनारा। होगा कॉपी के आख़िरी पन्ने पर नाम हमारा । - प्रियंका
भूरी आंखों और लाल गालों वाला लड़का
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भूरी आंखों और लाल गालों वाला वो सुंदर सा लड़का पहली बार मुझे धारा पर दिखा । बैलों को हांकते अपने पिता के पीछे चलता हुआ । चलते वक़्त वो शरीर को बाईं ओर झुका लेता था जिससे उसकी चाल में उचकन थी । एक पैर छोटा था इसलिए उसका उचल कर चलना लाज़मी भी था । लेकिन मेरा ध्यान कभी उसकी भूरी आंखों और लाल गालों से हटा ही नहीं । दूसरी बार मैंने उसे अपने भाइयों के साथ भागते हुए देखा । भाई भागते थे और वो सबसे पीछे अपनी दुनिया में उड़ता था । एक पैर हमेशा हवा को धकेलता हुआ और दूसरा पैर ज़मीन को घसीटता हुआ। जब भी गर्मियों में मैं गांव आती वो अपने दोस्तों के साथ मिलकर मेरा मज़ाक उड़ाता । मेरे छोटे बाल और गढ़वाली ना समझ पाना मज़ाक का विषय हमेशा से रहा । साल बढ़ते रहे और वो सुंदर सा लड़का अब मज़ाक नहीं उड़ाता बल्कि जब भी मैं आती तो मिलने पर दीदी प्रणाम कहकर उसी रफ़्तार के साथ उड़ता । बचपन में एक मकान की छत पर बैठे हुए उसके साथ एक हादसा हुआ और छत से बाहर निकली सरिया उसके पैरों में घुस गई। इलाज हुआ नहीं और वो यूंही ज़मीन को घसीटता हुआ जंगल..नदी और पहाड़ पार करता रहा। हर साल की तरह उस साल भी उसका पूरा...