
Photo : Pradeep Singh Mawari एक दिन पहाड़ समाधि से उठ बैठेंगे और नदियां मुड़ेंगी सागर के सफीने को छू कर । उस दिन झीनी सी चांदनी में होगी गर्माहट और आसमान में होगा अक्स ज़मीन का। उस दिन मैं फिर खिलूँगी तुम्हारी बाहों में और गाउंगी कुछ गीत पहाड़ी। हाँ , वो दिन जब तुम "मैं" और "मैं" तुम हो जायेंगे । और नहीं पड़ेगी ज़रूरत "हम" की राजनीति की । - प्रियंका