
मेरे बाद तुम्हारी अगली प्रेमिकाओं को नहीं सहेजनी पड़ेंगी तुम्हारी कतरन, जिसे जोड़कर मैंने तुम्हारा आज बनाया । उन्हें नहीं मालूम चलेगा कि तुम्हारा बिखरना कितना सुंदर था । नहीं महसूस कर पाएंगी वो कि आंचल में तुम्हारा कतरा बटोरकर इश्क़ की पतंग बनाना कैसा होता है । वो नहीं देख पाएंगी कि जिन सपनों को तुम जी रहे हो उसकी शुरुआती नींद कितने सुकून की थी । उन्हें नहीं मिलेगा सूखी रोटी, छोटी कटोरी और पहाड़ी चकोरी का साथ। मेरे बाद तुम्हारी अगली प्रेमिकाएं नहीं छू पाएंगी वो जगहें जहां मैंने बीज बोए हैं । क्योंकि तुम्हारी अगली प्रेमिकाएं देखेंगी पेड़ और झूलेंगी झूला हर सावन में । - © प्रियंका