Posts

Showing posts from February, 2015
Image
मेरी आखिरी साँसें तेरी बाँहों में न लिखी तो क्या हुआ, इस जिस्म के मिट जाने को ही फनाह होना नहीं कहते। मेरी हर सुबह  तेरे नाम न लिखी तो क्या हुआ आँखों के खुल जाने को ही जाग जाना नहीं कहते। मेरे मांझी मेरी नय्या किसी और को न देना दो आंसू बहाने को ही इंतज़ार नहीं कहते। प्रियंका

घर नहीं देखा

Image
बहुत दिन हो गए घर नहीं देखा कुछ देखा तो वो था कल रात का स्वप्न माँ बाल बना रही थी और नन्ही मैं उनके बगल में बैठी  उन्हें निहारती सोचती हुई कि कब आउंगी इस जगह कब पहनूंगी ये चूड़ियाँ और छन छन करते पूरे घर में दूंगी अपने होने का अहसास। अचानक पैर में चुभ जाती है माँ की कुछ टूटी चूड़ियाँ और पापा भाग कर गोद में उठा लेते हैं मुझे। पापा.... गालों में उस भंवर के साथ वर्दी के खूबसूरत सितारों में सिमटे, कितने जवान लगते हैं। अब तो ज़िन्दगी ने वक़्त की कुछ झुर्रियां दे दी हैं। और मुझे यादों का सावन। चलो सावन जल्दी जाना, बहुत दिन हो गए हैं ना... घर नहीं देखा। प्रियंका