
मेरी आखिरी साँसें तेरी बाँहों में न लिखी तो क्या हुआ, इस जिस्म के मिट जाने को ही फनाह होना नहीं कहते। मेरी हर सुबह तेरे नाम न लिखी तो क्या हुआ आँखों के खुल जाने को ही जाग जाना नहीं कहते। मेरे मांझी मेरी नय्या किसी और को न देना दो आंसू बहाने को ही इंतज़ार नहीं कहते। प्रियंका