हैप्पी फ्रेंडशिप डे

वक़्त हाथ से रेत की तरह फिसल रहा था ...आदित्य पहली फ्लाइट से लन्दन से दिल्ली पहुंचा | जब तक घर पहुंचा .. उसके पिता की अर्थी जा चुकी थी | आज पहली बार उसे इस घर का सन्नाटा महसूस हो रहा था | चार साल पहले जब माँ गुजरी थी तब भी ऐसा ही सन्नाटा था | लेकिन .. इससे थोडा कम | क्योंकि उसके सामने उसके डैडा थे उसके दोस्त | पिछले 6 सालों से अपने बीवी बच्चों के साथ लन्दन में रह रहा था | पूरे 3 साल बाद वो अपने घर वापस आया था | वो उस खामोश घर में जैसे जैसे अन्दर घुस रहा था वैसे वैसे उसकी ज़िन्दगी के कैनवस पर पड़ी धूल साफ़ होती जा रही थी | खिड़की पर उसके रंगीन नन्हे हाथों के निशाँ अभी तक मौजूद थे | जो कभी घर पेंट होते वक़्त मस्ती में चोरी छिपे उसने छोड़े थे | माँ ने बहुत डांट लगाई थी लेकिन उसके जिगरी दोस्त ..उसके डैडा ने हमेशा की तरह उसका साइड लिया और एक याद की तरह उसे वहीँ सजाये रखा | "मेरी नज़र इसपर पहले क्यों नहीं पड़ी ?" आदित्य ये सोचते सोचते अपने कमरे में पहुंचा .. वहां उसकी और पल्लवी की शादी की तस्वीर लगी थी | वो फिर एक याद में खो गया "डैडा आई ए एम इन लव " ... बस, उसके यार ...