Posts

Showing posts from May, 2013
Image
छोटी दादी खेतों के बीच पके हुए गेहूं को काटता वो नन्हा शरीर किसी बछड़े से कम नहीं जान पड़ता | अगर वो खड़े होकर दुखती अपनी कमर सीधी न करे तो पहाड़ों पर बसे उन गाँव वालों को किसी जानवर का वहम हो जाता है | वो कुछ गुनगुनाती है और फटाफट दरांती से उन सुनहरे गेहूं की कटाई करती है |  अचानक एक छोर से आवाज़ आती है ऐ...ऐ... मणवाली जी... और फिर मेरी छोटी दादी पहाड़ के उस सिरे को देखती है जहाँ से आवाज़ आई |  छोटी दादी को लोग मणवाली नाम से पुकारते हैं | मेरी छोटी दादी जिनकी शादी 13-14 साल की उम्र में मेरे छोटे दादा जी से हुई थी | शादी के कुछ सालों में कई गर्भपातों के बाद उनकी एक बेटी बची | उस बीच मेरे छोटे दादा जी बाकि पहाड़ियों की तरह काम की तलाश में मैदानों की तरफ निकल चुके थे और वो ऐसे गए की वापसी में साथ एक दूसरी पत्नी ले आये | छोटी मणवाली दादी ने शायद ही उस समय कुछ बोला होगा | खैर, रीति रिवाजों के तहत गांवों वालों को भोज कराया गया अब ये अंदाज़ा लगाना बड़ा मुश्किल है कि ये भोज बेबसी में था ता ख़ुशी मे | कुछ दिन बाद छोटे दादा अपनी  नयी नवेली पढ़ी लिखी पत्नी को लेकर चले गए | ...

Image
लड़की का पैजामा....   उसे उस छोटे शहर में आये अभी ठीक- ठीक शायद एक हफ्ता ही हुआ होगा | नौकरी इंसान को कहाँ नहीं फेंक देती वरना दिल्ली और मुंबई से पढ़ी इस लड़की ने कभी नहीं सोचा होगा कि वो यहाँ रहेगी | यहाँ जहाँ अकेली लड़की को कमरा देने में सब नाक भौं सिकोड़ते हैं और अगर दे भी दे तो उसे अपनी प्रॉपर्टी समझेंगे| उसे भी आज तक समझ नहीं आया कि अकेली लड़की का हर आदमी बाप बनने की क्यों कोशिश करता है ? फिर चाहे वो बॉयफ्रेंड हो, भाई हो या मकान मालिक. .. जैसे लड़की के पास खुद का कोई दिमाग ही नहीं है ? कोई इच्छा नाम की चीज ही नहीं है | खैर वो एक ऐसे शहर में थी जहाँ वो धुले कपडे बाहर नहीं सुखा पाती थी क्योंकि उसकी जींस, स्कर्ट्स और निक्कर मकान मालकिन को परेशान कर देती थी | क्या करे बेचारी घर के पुरुषों की नज़र पड़ जाएगी तो उसके लिए कितना शर्मनाक होगा... वही घर के पुरुष जो दिन दहाड़े चू**या, माद*** और बहन को धन्य करने वाली गलियां बकते हैं | लेकिन इस लड़की की एक चीज ने बहुत हल्ला मचाया हुआ था | वो चीज थी लड़की का पैजामा.... “ अरे बहिन कैसी लड़की को रखा है तुमने सुबह जाती है...