
छोटी दादी खेतों के बीच पके हुए गेहूं को काटता वो नन्हा शरीर किसी बछड़े से कम नहीं जान पड़ता | अगर वो खड़े होकर दुखती अपनी कमर सीधी न करे तो पहाड़ों पर बसे उन गाँव वालों को किसी जानवर का वहम हो जाता है | वो कुछ गुनगुनाती है और फटाफट दरांती से उन सुनहरे गेहूं की कटाई करती है | अचानक एक छोर से आवाज़ आती है ऐ...ऐ... मणवाली जी... और फिर मेरी छोटी दादी पहाड़ के उस सिरे को देखती है जहाँ से आवाज़ आई | छोटी दादी को लोग मणवाली नाम से पुकारते हैं | मेरी छोटी दादी जिनकी शादी 13-14 साल की उम्र में मेरे छोटे दादा जी से हुई थी | शादी के कुछ सालों में कई गर्भपातों के बाद उनकी एक बेटी बची | उस बीच मेरे छोटे दादा जी बाकि पहाड़ियों की तरह काम की तलाश में मैदानों की तरफ निकल चुके थे और वो ऐसे गए की वापसी में साथ एक दूसरी पत्नी ले आये | छोटी मणवाली दादी ने शायद ही उस समय कुछ बोला होगा | खैर, रीति रिवाजों के तहत गांवों वालों को भोज कराया गया अब ये अंदाज़ा लगाना बड़ा मुश्किल है कि ये भोज बेबसी में था ता ख़ुशी मे | कुछ दिन बाद छोटे दादा अपनी नयी नवेली पढ़ी लिखी पत्नी को लेकर चले गए | ...