Posts

यहाँ सुनने वाला बहरा सा क्यों है ?

Image
यहाँ हर सुनने वाला बहरा सा क्यों  है ? जिस शोर को सुनती हूँ उसमे सन्नाटा सा क्यों है ? खुद को जलाया सान्झो सेहर में फिर भी उजाला अँधेरा सा क्यों है ? ये हैं रास्ते  या सफ़र सा है कोई यहाँ हर मुसाफिर छलावा  सा क्यों है ? यूँ तो कहता है वो कि  मुहब्बत है मुझसे पर उसका होना ना होना सा क्यों है ? तुम्ही अब ठहर कर ये माजरा बताओ यहाँ हरेक लाश पर मुस्कान क्यों है ? यहाँ सुनने  वाला बहरा सा क्यों है ?
Image
मंगल गीत  इस रोशनी के परे वो अँधेरा घना दूर जलते उस घर के चूल्हे पर रुक जाता है । जहाँ कुछ मिटटी की दीवारों के बीच दो बूढी ऑंखें ठण्ड में हाथ तापती हैं । पसरे सन्नाटे को चीरने कभी कुछ मंगल गीत गाते - गाते वो याद करती है खुद की विदाई । वो बाली उमर जब गुडिया से खेलता उसका बचपन, खुद खिलौना बन गया । और फिर एकाएक बरस जाता है पानी उस गुड्डे की याद में जो दो नन्हे फूल देकर, चकाचौंध में गुम हुआ । आज वो फूल पेड़ हो गए हैं , पर ये गुडिया अब भी मंगल गीत गाती है । सबकी विदाई के मंगल गीत , उस जलते चूल्हे में अँधेरा अब भी बाकी है । priyanka goswami
Image
तू गन्दी हो चुकी है "भाई साहब अगर आप नहीं होते तो मैं इस नयी जगह में ऑफिस और घर मेनेज नहीं कर पाती । थेंक यू सो मच !" अरे बहनजी एक तरफ आप भाई कहती हैं और फिर थेंक यूं भी ? थेंक्स तो मुझे कहना चाहिए, घर पर बैठे बैठे पूरे दिन बोर होता हूँ लेकिन जबसे आप गुडिया को यहाँ छोड़ने लगी हैं तबसे पूरे घर में रौनक रहती है । फिर दोपहर में हमारी मैडम भी आ ही जाती हैं । तो तकलीफ कैसी ?" " ठीक है भाई साहेब इसका ख्याल रखियेगा, जबसे इसके स्कूल की छुट्टियाँ पड़ी है गुमसुम सी रहने लगी है । " मिसेज शर्मा गुडिया को उसकी नर्सरी की किताबें थमाते हुए ऑफिस के लिए निकल गयी । जाते ही पडोसी अंकल ने गुडिया से कहा " ऐ लड़की, अपना मुह इसी तरह बंद रखना किसी से अगर कुछ कहा तो तेरे  मम्मी पापा तुझे छोड़ कर चले जायेंगे क्यूंकि तू गन्दी हो चुकी है । चल अन्दर चल । गुडिया की आँखों से डर  पानी की शक्ल में फिर बरस पड़ा । वो आज फिर एक मूक दर्द से गुजरने वाली थी ।

अधूरा रास्ता

Image
खूबसूरत आज हमने  मकान खड़े हैं कर दिए... पर घर कैसे बनाएं इसका   जवाब नहीं मिलता..... बच्चे सो जाते हैं अक्सर  ख्वाबों के तकिये पे, दादी की कहानी सुनने का  आराम नहीं मिलता....... चल पड़ते हैं इम्तिहानों में आंखें सुजाये हुए  पर दही चीनी खिलाने का पैगाम नहीं मिलता....... मिल जाती है कुछ नौकरियां  उन बड़े ठिकानों पर. लेकिन वहां का बंधुआ  आज़ाद नहीं मिलता.... बन जाती हैं कुछ डोलियाँ आज भी दुकानों में पर उन्हें कान्धा देने वाला कहार नहीं मिलता..... वो आज ठोकर मारते हैं  अपने ही गाँव को और आखिरी पल उनको ही  शमशान नहीं मिलता .... आज कलम ये चल पड़ी   एक नए से पन्ने पे लेकिन यहाँ किसी किताब को  इनाम  नाम नहीं मिलता ........ priyanka goswami 
Image
आज हिचकियाँ आई ना जाने क्यों.. याद आ जाता है वो पल जब मेरे चेहरे पर लगे भात को आप बार बार पोछ मुझे खाना सिखाते थे. ना जाने क्यों अगर कभी झूलों पर बैठूं तो अनायास पीछे देखती हूँ कहीं आप पीछे खड़े झूला धकेल रहे हो... ना जाने क्यों..... आप की कांख पर लेटे वो नन्ही कविता फिर सुनाने का दिल करता है जिसे आप बार बार सुन धीमे मुस्काते थे ना जाने क्यों.... फिर वो बचपन याद आता है जिसे आपकी वर्दी ने धूमिल कर दिया. और मै उसपर लगे सितारे देखती रही. ना जाने क्यों... आज हिचकियाँ आई और फिर एहसास हुआ की शायद मेरे बाबुल मुझे याद कर रहे हैं.. priyanka goswami

ये पिज्जा और बर्गर क्या होता है?

Image
Facebook में Pizza Hut में नेहा और उसके परिवार की फोटो देख रही निक्की  जोर से चिल्लाती है..... मौ...........म...........................!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! क्या हुआ निक्की? देखो मॉम नेहा की पिक्स... कितनी अच्छी  है इसकी फॅमिली, कल ये सब pizza hut गए थे.. और एक आप लोग हो, ऐसी जगह जाते ही नहीं. आप लोगों की ही वजह से मुझे अभी तक mc Donalds  में ठीक से एक Burgar आर्डर करना नहीं आया....how shamless....!!!!!!!!!!.... डूब मरना चाहिए मुझ जेसे इन्सान को. तभी पीछे से पोचा लगते हुए रानी की आवाज़ आई..." दीदी ये  पिज्जा और बर्गर क्या होता है?"

अपाहिज सोच

Image
उसे बहुत देर बाद उस भरी बस में सीट मिली थी.... एक लड़की  उस सीट में बैठने ही जा रही थी की उसने वो सीट झट से लपक ली. वो लड़की टेढ़ी नज़रों से ज़ेबा को देख रही थी.. और ज़ेबा तिरछी नज़रों से अपने बगल में बैठे एक आदमी को. उसने खड़ी लड़की को LADIES सीट से उस आदमी को उठाने के लिए इशारा किया पर बदले में ज़ेबा  को उस लड़की का बना हुआ सा एक मुह मिला...."IDIOTS....क्या इन्हें पता नहीं है की ये LADIES सीट है पर फिर भी आकर बैठ जायेंगे.... ताकि लड़कियां इन्हें सीट से उठाने के बहाने ही बात कर सके, क्यूंकि ऐसे  तो कोई लड़की इन्हें घास डालेगी नहीं." अचानक वो आदमी उठने को हुआ और ज़ेबा के पैर पर कुछ चुभा उसने गुस्से से नज़र फिराई तो देखा की उस आदमी की बैसाखी गलती से ज़ेबा के पैर पर लग गयी थी.   और ज़ेबा की सोच अपाहिज सी हो गयी.