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शहर की गंध पीछे छोड़े वो उस ऊंचे पहाड़ के ताल तक पहुंच ही गया । इस वक़्त वो पांडवों के साथ स्वर्ग की यात्रा करती द्रौपदी की तरह थक चुका था । इसलिए धड़ाम से दोनों हाथों को हवा में फैलाए हरी घास पर लेट जाता है..बिना परवाह किए कि वो वहीं बैठी है । वो मुस्कुराती है और तालाब को देखते हुए कहती है। "तुम्हें पता है ये तालाब शिव के नाग ने बनाया ।" लड़का बंद आंखों से बुदबुदाते हुए कहता है.." देवी.. देवता या भूतों की कहानी के अलावा कोई और कहानी है तुम लोगों के पास..कोई भी कहानी जो सुकून दे जाए" । शहर की गंध अब भी लड़के के साथ कहीं बाकी थी । लड़की गंध भांप लेती है और अपने बैग की डायरी से एक पीला फूल निकाल कर कहती है ।  "ये लो कहानी.. प्रेम कहानी है । इसे जानोगे तो प्रेम जान जाओगे.. और प्रेम जान जाओगे तो सुकून मिलेगा" लड़का आंखें खोलता है.. वो वहां नहीं थी । लेकिन बगल  में रखा था पीला फूल। तालाब की सतह पर शिव के चांद की छाया थी । उसने खुद को मिथ्या और यथार्थ के बीच का नाग पाया । #ek_hissa - प्रियंका

पहाड़ों में

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पहाड़ों के सबसे पुराने मकान मंदिर हो जाते हैं । और इंसान हो जाते हैं देवता । कुछ घास प्रसाद बन जाते हैं और धारा बन जाती है गंगा । पहाड़ों में फटी ऐड़ियों की दरारों से कहानी झांकती है । और डोली गाती है कविता । पहाड़ों में... पहाड़ ... कटकर भी पहाड़ रहते हैं ।  प्रियंका