मैंने तुम्हें ढूँढा है।

Photo : Dipesh Puri जहाँ नहीं था कुछ मैंने तुम्हें वहां पाया। मैंने तुम्हें वहां पाया जहाँ कोने नहीं होते छिपने के लिए और ना होते हैं दरवाज़े किसी गए हुए का इंतज़ार करने के लिए। मैंने तुम्हें वहां पाया जहाँ नहीं होता इतिहास किसी को ख़ुदा मानने के लिए, और ना होते हैं नाम लकीरों में ढूंढने लिए। वहां, जहाँ सारी सदियां दम तोड़ रही थी, और हवा रुक कर खुद सांस ले रही थी । जहाँ समंदर उछल कर दूह रहे थे पहाड़ के शिवालय। लेकिन नदियां नहीं उलझी थी पाप पुण्य के षणयंत्र में। मैंने तुम्हे वहां पाया जहाँ खुद तुम नहीं गए, कभी खुद को ढूंढोगे तो पाओगे, कि तुमसे पहले मैंने तुम्हें ढूँढा है। - प्रियंका