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Showing posts from December, 2013
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जब हाथ तले मेरे चंदा था  उस धुंए धुनकती रैना में तेरा रोशन चेहरा याद आया जब हाथ  तले मेरे  चंदा था वो रैन बसेरा याद आया। जब याद करूँ तो  तुम चुपके चुपके से बाद  मुस्का देना मैं भी धड़कन को थामूंगी तुम एक झलक दिखला देना तेरी अल्हड अटखेली में वो दिन का ढ़लना याद आया जाते जाते पल भर में वो मुड़कर तकना याद आया जब हाथ तले मेरे चंदा था वो रैन बसेरा याद आया। प्रियंका गोस्वामी  प्रियंका गोस्वामी 
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  मैं शाम ढलने का इंतज़ार करूँ और तुम चुपचाप मेरे सामने अपनी प्यारी सी मुस्कान  लिए  चले आना।  पर आना धीमे से  हौले हौले  बादलों के संग  क्योंकि ये ज़मीन  तुम्हारे हर कदम से तुमको  छू  मुझे चिढ़ाती है।  और मैं मन मसोस कर   सिर्फ उसे घूरती हूँ।  इसलिए चले आना चुपके से  क्योंकि तुम्हे चुरा कर  कहीं दूर ले जाना है।  जहाँ न इंडो - चीन की दीवारें होंगी  और न देवता गुनाह करेंगे।  बस कुछ ठंडी  हवाएं  शायद तुम्हे तंग करें  पर तुम रूठना मत ....  बस कोशिश करना सुनने की  उन हवाओं में छुपे मेरे गीतों को  जिनमे कुछ तुम तो कुछ शिकायतें हैं।  कभी फुर्सत में बैठकर  सुनना उन्हें।   और गर नींद आ जाये तो   सो जाना मेरे आँचल तले  तुम्हे कुछ और नए सपने दिखाने हैं  जिनका मैंने हकीकत से सौदा किया है  बस तुम चुपचाप चले आना  तुम्हें वो हकीकत थमानी है।  प्रियंका गोस्वामी...