यहाँ सुनने वाला बहरा सा क्यों है ?

यहाँ हर सुनने वाला बहरा सा क्यों है ? जिस शोर को सुनती हूँ उसमे सन्नाटा सा क्यों है ? खुद को जलाया सान्झो सेहर में फिर भी उजाला अँधेरा सा क्यों है ? ये हैं रास्ते या सफ़र सा है कोई यहाँ हर मुसाफिर छलावा सा क्यों है ? यूँ तो कहता है वो कि मुहब्बत है मुझसे पर उसका होना ना होना सा क्यों है ? तुम्ही अब ठहर कर ये माजरा बताओ यहाँ हरेक लाश पर मुस्कान क्यों है ? यहाँ सुनने वाला बहरा सा क्यों है ?