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Showing posts from October, 2012
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तू गन्दी हो चुकी है "भाई साहब अगर आप नहीं होते तो मैं इस नयी जगह में ऑफिस और घर मेनेज नहीं कर पाती । थेंक यू सो मच !" अरे बहनजी एक तरफ आप भाई कहती हैं और फिर थेंक यूं भी ? थेंक्स तो मुझे कहना चाहिए, घर पर बैठे बैठे पूरे दिन बोर होता हूँ लेकिन जबसे आप गुडिया को यहाँ छोड़ने लगी हैं तबसे पूरे घर में रौनक रहती है । फिर दोपहर में हमारी मैडम भी आ ही जाती हैं । तो तकलीफ कैसी ?" " ठीक है भाई साहेब इसका ख्याल रखियेगा, जबसे इसके स्कूल की छुट्टियाँ पड़ी है गुमसुम सी रहने लगी है । " मिसेज शर्मा गुडिया को उसकी नर्सरी की किताबें थमाते हुए ऑफिस के लिए निकल गयी । जाते ही पडोसी अंकल ने गुडिया से कहा " ऐ लड़की, अपना मुह इसी तरह बंद रखना किसी से अगर कुछ कहा तो तेरे  मम्मी पापा तुझे छोड़ कर चले जायेंगे क्यूंकि तू गन्दी हो चुकी है । चल अन्दर चल । गुडिया की आँखों से डर  पानी की शक्ल में फिर बरस पड़ा । वो आज फिर एक मूक दर्द से गुजरने वाली थी ।